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Wednesday, August 28, 2024

शिक्षक की कलम से


आगे बढ़ते जाना है
सबको आगे बढाना है,  पढना - लिखना सिखाना है
और गणना के साथ साथ, सबको निपुण बनाना है।
हर क्षेत्र में परचम लहराना है,
FLN और NIPUN BHARAT MISSION के
सपने को सच करके दिखाना है।
शिक्षक हो या अभिभावक, 
सबको हाथ बढ़ाना है,
बच्चे की शिक्षा गाड़ी को,  
मिलके हमे चलाना है।
नई टेक्नोलॉजी , नए प्रयास,  
इस दिशा में कदम बढ़ाना है
ना छूटे कोई फूल निरक्षर ,कक्षा तीन के अंत तक
हमको ये कर दिखाना है।
भारत के हर बच्चे को,  साक्षर हमे बनाना है 
आगे बढ़ते जाना है, बस आगे बढ़ते जाना है।

ज्योति माहेश्वरी
 (प्राथमिक शिक्षिका)




 

Saturday, August 24, 2024

Monday, August 12, 2024

SPEECH ON LIBRARIAN'S DAY

भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक पद्मश्री डॉ. एसआर रंगनाथन की 132वीं जयंती पर 12 अगस्त को राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस मनाया जा रहा है।
 *पद्मश्री डॉ.एसआर
रंगनाथन की संक्षिप्त जीवनी* -12 अगस्त 1892 को जन्मे रंगनाथन ब्रिटिश शासित भारत में एक उदारवादी पृष्ठभूमि से आए थे। उनका
जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के छोटे से शहर शियाली (जिसे अब सिरकाज़ी के नाम से जाना जाता है) में हुआ था।
रंगनाथन ने अपना पेशेवर जीवन एक गणितज्ञ के रूप में शुरू किया; उन्होंने
अपने गृह प्रांत में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से गणित में बीए और एमए की डिग्री हासिल की और फिर एक शिक्षण लाइसेंस प्राप्त किया। उनका आजीवन लक्ष्य गणित पढ़ाना था, और वे क्रमिक रूप से मैंगलोर, कोयंबटूर और मद्रास (सभी पाँच वर्षों के अंतराल में) के विश्वविद्यालयों में गणित संकाय
के सदस्य थे। गणित के प्रोफेसर के रूप में, उन्होंने कुछ शोधपत्र प्रकाशित किए, जिनमें से अधिकांश गणित के इतिहास पर थे। एक शिक्षक के रूप में उनके करियर में कुछ हद तक हकलाने की बाधा थी (एक कठिनाई जिस पर रंगनाथन ने अपने पेशेवर जीवन में धीरे-धीरे विजय प्राप्त की)।
वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय  (1945-47)  में विश्वविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष और पुस्तकालय विज्ञान के प्रोफेसर थे  और दिल्ली विश्वविद्यालय  (1947-55) में पुस्तकालय विज्ञान के प्रोफेसर थे। अंतिम नियुक्ति ने उन्हें उच्च डिग्री प्रदान करने वाले पहले भारतीय पुस्तकालय विद्यालय का निदेशक बनाया। वे  1944 से 1953 तक भारतीय पुस्तकालय संघ के अध्यक्ष रहे। 1957 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सूचना और प्रलेखन महासंघ (FID)  का मानद सदस्य चुना गया  और उन्हें ग्रेट ब्रिटेन के पुस्तकालय संघ  का आजीवन उपाध्यक्ष बनाया  गया ।
भारत सरकार ने
पुस्तकालय विज्ञान में बहुमूल्य योगदान के लिए डॉ एसआर रंगनाथन को पद्मश्री से सम्मानित किया।
पुस्तकालय विज्ञान के पाँच नियम:
* पुस्तकें उपयोग के लिए हैं
* प्रत्येक पाठक की अपनी पुस्तक
* प्रत्येक पुस्तक, उसका पाठक
* पाठक का समय बचाएं
* एक पुस्तकालय एक बढ़ता हुआ जीव है
भारत में पुस्तकालय विज्ञान के राष्ट्रीय प्रोफेसर डॉ एसआर रंगनाथन (1892-1972) की याद में 12 अगस्त को राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है
, जिन्होंने
भारत में पुस्तकालय विकास का नेतृत्व किया था।



            





ROLE PLAY BY THE STUDENTS ON CUSTOMER'S JOURNEY (AMARCHITRA KATHA COMIC)

आज विद्यालय में छात्रों द्वारा मंच पर बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी गई।जिसके द्वारा उन्होंने BIS and ISI mark के बारे में जानकारी दी।